जीवन के जटिल सवाल
क्या ज़िंदगी मुझे कभी मौका नहीं देगी अपने दिल का काम करने का? क्या मेरी किस्मत कभी नहीं बदलेगी? क्या मेरे हालात कभी नहीं बदलेंगे? क्या मेरी निजी ज़िम्मेदारियाँ हमेशा मुझे जकड़े रहेंगी? क्या मै वही राह पर जा रहा हूँ जहाँ ज़िंदगी मुझे लेके जा रही है? क्या ज़िंदगी मुझे कभी मौका नहीं देगी खुद को तलाश करने की?
ऐसे बहोत से लोग है जिन्हें उपरोक्त सवालो से जूझना पड़ता है और ऐसे प्रश्न उन्हे अलग-अलग तरह से परेशान करते रहते है। जब इंसान के सामने इतने सारे प्रश्न एक साथ उठते है तो वह खुद में उलझ जाता है। वह इन सारे सवालो का जवाब तलाशने की बहोत कोशिश करता है, लेकिन उसे हताशा ही हाथ लगती है।
प्राप्त उत्तर की प्रमाणिकता पर संदेह

अगर गाहे बगाहे ऐसे सवालो का जवाब ढूंढ भी ले तो दिल में हमेशा एक प्रश्नचिन्ह लगा रहता है? विपरीत परिस्तिथियों से निकले व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी उसे प्राप्त जवाब पर यकीन करने नहीं देती। हर व्यक्ति का जीवन इतना सरल नहीं होता की वह जैसा चाहे मन मुताबिक जीवन जी ले। कुछ लोगो के जीवन में व्याप्त जटिलता उनके लिए जीवन का पर्याय बन जाती है।
जीवन में कुछ लोग ऐसे होते जिनके पास ये कहने या महसूस करने की सुविधा नहीं होती की ‘उनके पास खोने को कुछ नहीं है।‘ दुनियाँ में ऐसे व्यक्तियों को किन्ही दो में एक को चुनने का अत्यंत मुश्किल एवं साहसी चुनाव करने से गुज़रना पड़ता है। हमारे पास खोने को बहोत कुछ होता है, लेकिन जिस वस्तु को पाने की लालसा है, उसे पाने में पहले से संचित वस्तु को खोने का भय होता है, भवीष्य की अस्थिरता होती है।
जीवन में कुछ लोग ऐसे होते जिनके पास ये कहने या महसूस करने की सुविधा नहीं होती की ‘उनके पास खोने को कुछ नहीं है।‘ दुनियाँ में ऐसे व्यक्तियों को किन्ही दो में एक को चुनने का अत्यंत मुश्किल एवं साहसी चुनाव करने से गुज़रना पड़ता है। हमारे पास खोने को बहोत कुछ होता है, लेकिन जिस वस्तु को पाने की लालसा है, उसे पाने में पहले से संचित वस्तु को खोने का भय होता है, भवीष्य की अस्थिरता होती है।
पूर्व से संचित वस्तु का मोह त्यागना
उपरोक्त सभी सवालो के संतुष्टी से तृप्त करने हेतु एक ही जवाब है और वो यह कि हम जो पाना चाहते है उसे पाने हेतु पहले से अर्जित वस्तु को खोने का मोह त्यागना होगा अर्थात जीवन में निर्णय लेना ही होगा। जो निर्णय हम लें वो हमारे दिल से जुड़ा हुआ होना चाहिए। यदि ऐसे निर्णय के लिए हमें कुछ खोना भी पडे़ तो ज़्यादा चिंतन नहीं करना चाहिए क्योकि जिस चुनाव में दिल जुड़ा हुआ हो वहाँ असफलता बहोत दिनों तक वास नहीं कर सक्ती। जीवन में दिल की दिशा की ओर लिये गए निर्णय पर कभी भी पछतावा नहीं करना चहिये। पछतावा व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देता है। एक बार जो निर्णय ले लिया उस पर अंतिम सांस तक अडिग रहना चहिये।
जीवन मे सफलता का प्रवेश
हमारे दिल की पसंद के ईंटो से बने घर में ‘असफलता‘ नामक अतिथी बहोत अधीक दिनों तक नहीं रह सक्ता। असफलता को सफलता के लिए घर खाली करना ही पड़ता है। क्योकी मनुष्य के दिल का असली मालकिन ‘सफलता‘ ही है (परन्तु मनुष्य के जीवन में आने वाली कठिनाईयों से उत्पन्न भय, ईष्या, क्रोध के साथ उसका सामंजस्य नहीं बनने से वह स्वेच्छा से घर छोड़ देती है) और जब ‘सफलता‘ उस घर में प्रवेश करती है तब सारा घर (दिल) ‘दिवाली‘ के दियों से जगमगा उठता है।




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